इंसान जब जन्म लेता है,
तब उसका वजन ढाई किलो होता है,
और मरने के बाद, अग्नि संस्कार के बाद,
उसकी राख का वजन भी ढाई किलो होता है |
जिंदगी का पहला कपडा,
जिसका नाम है झबला, जिसमें जेब नहीं होती ,
जिंदगी का आखरी कपड़ा है कफ़न,
उसमें भी जेब नहीं होती है |
तो बीच के समय में जेब के लिए इतना झंझट क्यों?
इतने चल और कपट क्यों?
खून की बोतल लेने से पहले ब्लड ग्रुप चेक करते हैं,
पैसे लेते समय जरा चेक करो की पैसा कौन से ग्रुप का है ?
न्याय का है ? हाय का है ? या हराम काहै ?
और आज गलत ग्रुप का पैसा घर में आ जाने से ही
घर में अशांति, लड़ाई और झगडा होता है |
हराम और है का पैसा – जिमखाने, दवाखाने,
क्लब और होटल में खत्म हो जायेगा
और आपको भी खत्म कर देगा
बैंक बैलेंस तो बढ़ेगा, पर फॅमिली का बैलेंस कम होगा |
तो समझना की पैसा हमें सूट नहीं हो रहा है |